लेखनी कहानी -06-Apr-2024
शीर्षक - अनचाहा रिश्ता
एक सच तो भाग्य कुदरत के रंग होते हैं और रिश्ते तो मन भावों के साथ हैं अनचाहा रिश्ता और हम सभी अपने अपने स्वार्थ और मन में ही रखते हैं। बस हम सभी एक-दूसरे को सहयोग जब ही देते हैं जब हमें मतलब और काम रहते हैं। आधुनिक और आधुनिकता के रंग में हमारी सोचव और अनचाहा रिश्ता भी हम निभाते हैं। हम सभी सच को पहचानते हैं और मेरा भाग्य और कुदरत के रंग एक सच के साथ कहानी के शब्दों में कहता है।
दिशा और नीति एक परिवार की दो बेटियां थी दोनों एक से सुंदर एक थी और उनके माता-पिता गांव के जमींदार और अच्छे परिवार के रहन-सहन वाली थी और दिशा नीति से 2 साल बड़ी थी नीति भी अब दोनों बहने शादी के योग्य थी परंतु दिशा और नीति दोनों की मानसिकता बहुत अब थी दिशा समझदार और एक दूसरे की बात समझने वाली थी और नीति उससे विपरीत मानसिकता की और वह पैसे के घमंड और गुमान में रहती थी। दिशा के लिए अच्छे लड़के की तलाश उसके माता-पिता करने लगे और समय के साथ-साथ एक अच्छे घर आने का इकलौता लड़का मिल गया और दिशा की शादी जल्द ही पास के गांव के जमीदार साहब के बेटे दिनेश से कर दी गई। दिनेश और दिशा की शादी तो हो गई। दिशा का मन इस अनचाहे रिश्ते से खुश ना था। अनचाहा रिश्ता दिशा ने अपने माता-पिता के मान सम्मान के लिए दिनेश के साथ समझौता कर लिया।
दिशा शादी के साल 2 साल के बाद भी मांँ बना सकी। अनचाहा रिश्ता तो उसके मन में पहले से ही था। और मैं अपनी छोटी बहन नीति से अपने मन की बात को बताती थी और अब नीति दिशा से कहती थी बहन अब क्या हो सकता है और नीति रहती है दीदी तुम मुझे बताओ कि आप मांँ क्यों नहीं बन सकती। दिशा नीति को बताती है कि मैं क्या बताऊं नीति तेरे जीजा जी एक पुरुष की तरह हरकतें नहीं करते और दोनों बहने आपस में हम बिस्तर की बातें करने लगी तब नीति दिशा से कहती है दीदी आप तो आधुनिक हो । जीजा जी को कुछ सिखाओ। दिशा कहती है नीति अगर मैं तेरे जीजा जी को कुछ सेक्स और जीवन के साथ शारीरिक संबंधों की अगर शिक्षा दी तो वह मुझे गलत समझने लगेंगे। दीदी रहती है दीदी आज तो आधुनिक समय और तरह-तरह की इलाज और सभी तरह की बीमारियों के इलाज भी हैं।
नीति से दिशा रहती है कि तू नहीं समझती है शादी के बाद पुरुष अपने आप को कमजोर समझने से बचता है और वह नारी के सामने अपने पर उसको कभी भी कमजोर नहीं होने देना चाहता परंतु आज के आधुनिक समय में हमें ऐसा नहीं सोचना चाहिए क्योंकि पति-पत्नी जीवन की डोर होत हैे । तब दिशा नीति को बताती है। अनचाहा रिश्ता तो मेरे लिए पहले ही था। नीति दिशा से पूछती है अब जीवन कैसे कटेगा। दिशा कहती है मेरा भाग्य कुदरत के और कुदरत के रंग एक सच हम सभी का जीवन में होता है। और दोनों बातें करते-करते सो जाती है।
जब दोनों बहने सुबह सोकर उठती है दिनेश दिशा को बुलाने आया हुआ होता है और दिशा अनचाहे मन से अपनी ससुराल चली जाती हैं। इधर नीति अपने ही गांव के लड़के रमन से प्यार करती और उम्र का तक आया था रमन और नीति जवान थे और प्यार मोहब्बत मे कई बार हमबिस्तर और गन्ने के खेत में शारीरिक संबंध बनाते थे। एक सुबह नीति को घर में उल्टियां लग गई और पास के गांव अपनी बहन दिशा के पास चली गई। नीति और दिशा दोनों आप से मिलकर बहुत खुश होती है दिशा पूछती है अचानक नीति तू कैसे याद करने लगी नीति कहती है दीदी ऐसी कोई बात नहीं है। आपसे कुछ बात करने आयी हूंँ।
रात को सोते समय नीति अपनी आप बीती और रमन से हम बिस्तर होने की गलती बता देती हैं। और नीति कहती है दीदी अब मैं पेट से हूं। दिशा कहती है हम रमन से बात कर सकते हैं। दीदी रमन गरीब परिवार का लड़का है। मुझे बहुत दूर रहता था परंतु जवानी की गलती में मेरा ही मन उसे ऐसा करने को कहता था अब दीदी आप ही बताओ तब दिशा एक तरकीब लगती है और वह नीति को शहर के हॉस्टल में भेज देती है। इस राज को अपने तक ही रखती है। और नीति को हॉस्टल में सेट करने के बाद इसका चेकअप डॉक्टर से हर महीने की फीस के साथ तय कर देती है और इधर गांव में दिशा सलवार सूट के नीचे तकिया फॉर्म लगाकर अपने को गर्भवती होने का नाटक करती है और जिस दिनेश भी खुश हो जाता है और वह कहती है कि अब मुझे आप 9 महीने तक छूना नहीं जबतक इस बच्चे को जन्म दे दूं तब मुझे शहर में डॉक्टर की निगरानी में रहना पड़ेगा दिनेश खुश हो जाता है और उसे क्या चाहिए था वह अपने आप को खुश नसीब समझता है कि वह भी बाप बनने वाला है।
दिशा भी नीति के पास हॉस्टल में चल जाती है। और कुछ दिनों बाद नीति एक सुंदर बेटे को जन्म देती है। नीति और दिशा दोनों बहुत खुश होती हैं कि उनका मान सम्मान भी रह गया और हमारा जीवन भी सुखी हो जाएगा दिशा बेटे को लेने ससुराल से दिनेश को बुला लेती हैं। अनचाहा रिश्ता और दिनेश कभी पित नहीं बन सकता था। दिशा यह बात बहुत अच्छी तरह जानती थी। दिनेश नीति को देखकर कहता है और तुम्हारी पढ़ाई कैसी चल रही है नीति रहती है जीजा जी पढ़ाई तो बहुत बड़ी चल रही है आपको बधाई हो आप पिता बन गए दिनेश कहता है आपको भी बधाई हो। आप भी मौसी बन गई।
मेरा भाग्य और कुदरत के रंग के साथ एक सच में आप मन भावन से लिखी हुई शब्दों के साथ एक जीवन जिंदगी को छूती हुई कहानी पढ़ रहे है। जो कि दो बहनों की समझदारी या दोनों का प्यार एक दूसरे की इज्जत और सम्मान के साथ बताता है जीवन में गलतियां और राज सभी के साथ होती हैं परंतु जिंदगी और जीवन में रिश्ते अनचाहा रिश्ता हो। चाहत और इश्क की कसौटी हो परंतु हमें अपने जीवन में अगर भाग्य और कुदरत के रंग में सच के साथ चलना हो तो जीवन खुशहाल बना सकता है।
नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र
Mohammed urooj khan
16-Apr-2024 12:06 AM
👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾
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Varsha_Upadhyay
10-Apr-2024 11:39 PM
Nice
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Babita patel
07-Apr-2024 09:56 AM
Awesome
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